राहुल बोले वोटिंग में गड़बड़! आयोग बोला – प्रूफ है क्या?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत तो महायुति गठबंधन की हुई, लेकिन राहुल गांधी ने खेल का “सीन बिहाइंड द कर्टेन” दिखाने की कोशिश की। उनका आरोप – बीजेपी ने चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए ‘5 चरणों का जादू’ किया और वोट प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।

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अब ये बात सुनकर अगर आपको भी “Netflix का कोई पॉलिटिकल थ्रिलर” याद आ जाए तो गलत नहीं है।

चुनाव आयोग की दो टूक – “बिना सबूत, बेबुनियाद इल्ज़ाम!”

राहुल गांधी की इस बयानबाज़ी पर चुनाव आयोग ने करारा जवाब दिया और कहा –

“हमने 24 दिसंबर 2024 को सारी जानकारी सार्वजनिक की थी। वेबसाइट पर सब कुछ मौजूद है।”

आयोग ने इसे लोकतंत्र और कानून की बेइज्जती बताया। साथ ही यह भी साफ किया कि बार-बार सोशल मीडिया पर बोलना और औपचारिक शिकायत ना करना सही तरीका नहीं है।

एजेंट्स की गलती या राहुल गांधी की रणनीति?

सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी का असली गुस्सा बीजेपी पर नहीं, बल्कि कांग्रेस के बूथ एजेंट्स पर था। अब ये थोड़ा फिल्मी लग सकता है, पर आयोग का कहना है कि राहुल गांधी ने अपनी ही टीम को निशाने पर ले लिया

आयोग की नसीहत – “कोर्ट जाइए, ट्वीट मत करिए”

चुनाव आयोग ने कहा कि अगर वाकई कोई गंभीर समस्या है, तो उच्च न्यायालय में याचिका दायर करें, ना कि ट्विटर पर आरोपों की झड़ी लगाएं।
साथ ही ये भी कहा गया कि

“हर बार राहुल जी गंभीर मुद्दों की बात करते हैं, लेकिन शिकायत देने की बारी आती है तो पीछे हट जाते हैं।”

वोट प्रतिशत बढ़ाने का आरोप – लेकिन डेटा कहता है कुछ और

राहुल गांधी ने ये भी दावा किया कि बीजेपी ने वोट प्रतिशत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया। लेकिन आयोग के अनुसार – डेटा पूरी तरह पारदर्शी है और इसे कई बार राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जा चुका है।

महायुति को बड़ी जीत (132 सीटें सिर्फ बीजेपी की) मिली है, लेकिन उसका श्रेय कहीं ना कहीं राजनीतिक रणनीति और गठबंधन की मजबूती को भी दिया जा रहा है – ना कि सिर्फ “धांधली” को।

चुनावी आरोप, सोशल मीडिया पर धमाल

राहुल गांधी की सोशल मीडिया पर सक्रियता देखकर अब लोग कह रहे हैं – “अब चुनाव आयोग के दफ्तर नहीं, ट्विटर ही कोर्ट बन चुका है!” और चुनाव आयोग भी शायद मन ही मन सोच रहा होगा – “हमसे न हो पाएगा ये ट्विटर वार!”

सियासत का खेल चालू है जनाब!

राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं। लेकिन जब लोकतंत्र की संस्था पर उंगली उठती है, तो सबूत भी उतने ही दमदार चाहिए।
राहुल गांधी ने चुनावी गड़बड़ी की बात उठाई, लेकिन बिना पक्की शिकायत, ये महज एक राजनीतिक स्टंट जैसा ही लगता है।

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